लखनऊ। ‘आज मैं हालातों से बेबस जरूर हूं, लेकिन मेरे हौसले आज भी बुलंद हैं। मैं लड़ना चाहती हूं और जीतना भी क्योंकि मेरी जीत ही उनकी सबसे बड़ी हार साबित होगी, जिन्होंने मेरी पहचान मुझसे छीनने की कोशिश की और मेरे चेहरे को तेजाब के हवाले कर दिया’। यह कहना है एसिड अटैक पीड़िता रुपाली विश्वकर्मा का। रुपाली विश्वकर्मा कभी भोजपुरी फिल्मों में सपोर्टिंग आर्टिस्ट थी, और इस इंडस्ट्री में नाम कमाना चाहती थी। इसी दौरान साथ काम करने वाले एक युवक को रुपाली से एक तरफा प्रेम हो गया। जब रुपाली ने उसके प्रस्ताव को नकार दिया तो उसने रुपाली की जिन्दगी बर्बाद करने के लिए एक षड्यंत्र रचा और उस षड्यंत्र के तहत 28 जुलाई 2015 को रुपाली के चेहरे को तेजाब के हवाले कर दिया।
आंखें भी जल गई थी : रुपाली ने हार नहीं मानी अपने चेहरे के दम पर पहचान बनाने वाली रुपाली को आज खुद अपना चेहरा देखने के लिए पहले हिम्मत जुटानी पड़ती है। चेहरा जलने के साथ-साथ रुपाली की आंखें भी जल गई। एक आंख से रुपाली को बिलकुल भी नहीं दिखाई देता है। वहीं एक आंख की रोशनी काफी कम है, जिसका इलाज चल रहा है। इन तमाम प्रताड़नाओं के बाद भी रुपाली ने हार नहीं मानी और जिंदगी में आगे बढ़ती चली गई।
बच्ची को दिया जन्म : आज रुपाली अपने पति के साथ सामान्य जिन्दगी जी रही है। बीते 30 मार्च को ही रुपाली ने एक बच्ची को जन्म दिया है, जिसे वह एक बहादुर और जिम्मेदार नागरिक बनाना चाहती है। रुपाली का कहना है कि उनकी बच्ची ईश्वर द्वारा दिया गया सबसे बड़ा तोहफा है।
कुलदीप जैसे दीपक को सलाम, अपनों से लड़ रोशन की जिंदगी : रुपाली के जिंदगी में रोशनी जिस दीपक से हो रही है, उसका नाम कुलदीप है। कुलदीप ही वह शक्स है जो रूपाली को लड़ने और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। कुलदीप और रुपाली की प्रेम कहानी लखनऊ के एक रेस्टोरेंट से शुरू हुई थी, जहां पर काम करने वाले युवक कुलदीप को रुपाली की कहानी ने इस कदर प्रेरित किया कि कुलदीप रुपाली की मोहब्बत में गिरफ्तार हो गए।
एक साल बाद कर ली थी शादी : एक साल साथ रहने के बाद दोनों ने एक दूसरे से शादी कर ली। परिवार के विरोध के चलते कुलदीप को कई महीनों तक अपनी शादी की बात परिवार से छिपानी पड़ी। आज भी शादी के एक साल के बाद कुलदीप के परिवार ने रुपाली को स्वीकार नहीं किया है। रुपाली का कहना है कि मुझे समाज ने नकार दिया था, आज अगर मैं एक सामान्य जिन्दगी जी रही हूं और आगे बढ़ने के ख्वाब बुन रही हूं तो उसके पीछे सिर्फ कुलदीप ही एकमात्र कारण है। अगर मैं यह कहूं कि कुलदीप ने मुझे जिन्दगी जीना सिखाया है तो कुछ गलत नहीं होगा। यह सोच और नजरिए की ही बात है कि जिस समाज में महिलाओं का आंकलन सुंदरता के आधार पर किया जाता है, उसी समाज में कुलदीप जैसे भी कुछ लोग हैं। जिनके लिए व्यक्तित्व और सोच के सामने ऊपरी सुंदरता और सौन्दर्य मायने नहीं रखता है। अगर हमारे समाज के हर युवक की सोच महिलाओं के प्रति ऐसी हो जाए की कई समस्याओं का समाधान अपने आप ही हो जाएगा। हमारे समाज को कुलदीप जैसे युवाओं से प्रेरणा लेना चाहिए।
समाज और परिवार ने नकारा : एसिड अटैक के बाद रुपाली को समाज के साथ-साथ अपने पिता का भी विरोध सहना पड़ा। रूपाली का कहना है कि जब एसिड अटैक के बाद उसका चेहरा पूरी तरीके से जल गया था तो उसे परिवार की सबसे ज्यादा जरूरत थी। उस दौरान भी रुपाली के पिता ने उसकी कोई मदद नहीं की। ऐसे में जब वह जिंदगी और मौत के बीच लड़ रही थी तो कुछ डॉक्टरों और एनजीओ ने मदद की, जिसके लिए रुपाली डॉक्टर सुबोध, डॉक्टर प्रशांत, डॉक्टर विशाल, डॉक्टर विद्या सहित ‘छांव फाउंडेशन’ का शुक्रिया अदा करते नहीं थकती हैं।
आज भी आजाद हैं रुपाली के गुनहगार : रुपाली के साथ इस कदर बर्बरता करने वाले आज भी आजाद घूम रहे हैं। घटना के बाद रुपाली ने जिस शख्स पर आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी, उसे कोर्ट से सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। सुनवाई के दौरान कोर्ट में रुपाली से यह पूछा गया कि क्या आप ने आरोपी को तेजाब फेंकते हुए देखा था। जबकि जब रुपाली के ऊपर तेजाब फेंका गया उस समय रुपाली गहरी नींद में सोई हुई थी।
खाने में मिलाई थी नींद की गोलियां : घटना से पहले रुपाली के खाने में नींद की दवा मिला दी गई थी, जिसके चलते घटना के दौरान रुपाली गहरी नींद में थी। कोर्ट को जवाब देते हुए रूपाली ने कहा कि मैंने तेजाब फेंकते तो किसी को नहीं देखा। रुपाली के इस बयान पर कोर्ट ने आरोपी को बरी कर दिया। ऐसे में पुलिस की कार्रवाई पर सवालिया निशान खड़े होते हैं कि आखिर दर्ज एफआईआर दर्ज कराने के बाद भी पुलिस आरोपी के खिलाफ सबूत जुटाने में क्यों नाकाम रही। (साभार)