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बद्री विश्वकर्मा को अमेरिका ने बुलाया, लेकिन पैसे ने रुलाया - 30 Mar 2018

बद्री विश्वकर्मा को अमेरिका ने बुलाया, लेकिन पैसे ने रुलाया - 30 Mar 2018 दमोह। मध्य प्रदेश के दमोह जिले के बटियागढ़ निवासी बद्री विश्वकर्मा को अमेरिका के लॉस एंजलेस में बीते 3 फरवरी से आयोजित अमेरिका गॉट टेलेंट ऑडिशन में हिस्सा लेना था परन्तु पैसे के अभाव में बद्री की प्रतिभा धरी रह गई। मध्य प्रदेश के इस युवा का टैलेन्ट खुद अमेरिका देखना चाहता था और बद्री विश्वकर्मा भी अपना हुनर अमेरिका को दिखाकर भारत का नाम रोशन करना चाहता था, पर यह ऊपर वाले को मंजूर नहीं था। यह ऑडिशन अमेरिका में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले प्रसिद्ध अमेरिका गॉट टेलेंट के लिए किया गया था। ब्रदी विश्वकर्मा की प्रतिभा में वह खतरनाक स्टंट शामिल है जिन्हें देखकर लोग अचंभित हो जाते हैं। अब तक ब्रदी विश्वकर्मा अपने खतरनाक स्टंट देश के कई महानगरों में दिखा चुके हैं, लेकिन यह पहला अवसर था जब जिले से किसी को अपनी प्रतिभा सात समुंदर पार अमेरिका में दिखाने का अवसर मिला था।

दमोह के खली के नाम से प्रसिद्ध हो चुके बजरंग अखाड़े के बद्री विश्वकर्मा की प्रतिभा का सफर जिले के बाहर वर्ष 2004 में शुरु हुआ था, यह सबसे पहले 2004 में शॉबाश इंडिया में शामिल हुए थे, इसके बाद कई महानगरों में आयोजित होने वाले शो में इन्होंने भाग लिया। वर्ष 2014 व 2016 में दो बार इन्होंने इंडिया गॉट टेलेंट में अपनी प्रतिभा दिखाई, इसके बाद वर्ष 2015 में कोची उग्रम उज्जवलम् शो में शामिल हुए, इसी वर्ष जी तेलगू हैदराबाद शो में शामिल हुए, वहीं वर्ष 2016 में चैन्नई के एसआरनो सूर्या टीवी शो में शामिल हुए।

अमेरिका जाने में पैसा बना रोड़ा : जांबाज बद्री विश्वकर्मा को अपनी जान दांव पर लगाने के बाद दिखाए गए स्टंटों से नाम व वाहवाही तो भरपूर मिली, लेकिन इससे इनकी आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं हो सका। बटियागढ़ में बद्री विश्वकर्मा अपनी पुस्तैनी लोहे को पिघलाकर औजार तैयार करने की दुकान पर कार्य करते हैं। लोहारगिरी से जो पैसा मिलता है इससे इनके परिवार का भरण पोषण तो अच्छे से हो जाता है पर अमेरिका तक जाने के लिए पैसों की कमी रोड़ा बनकर सामने आ गई। ब्रदी का कहना है कि मेरे पास इतना पैसा नहीं है कि मैं अमेरिका जाकर अपनी प्रतिभा के जरिए जिले व देश का नाम रोशन कर सकूं। कोई मदद ही मुझे वहां तक पहुंचा सकती थी। मैंने अपने गांव के अखाड़े में सब कुछ सीखा है, मैं लुहार का कार्य करता हूं, खतरनाक स्टंट दिखाना मेरा जुनून है और यही मेरी प्रतिभा है।

उम्मीद है कि इसी अप्रैल या मई माह में बद्री को अपना टैलेन्ट दिखाने के लिये लन्दन जाने का अवसर मिले, परन्तु फिर वही डर कि कहीं पैसा रास्ता न रोक ले? समाज के भामाशाह यदि बद्री की कुछ मदद कर सकें तो यह उसकी प्रतिभा को चार चांद लगाने में बड़ा सहयोग होगा। (रिपोर्ट - मुकेश विश्वकर्मा)