अभिनेता/गायक/प्रोड्यूसर श्री शिवकुमार विश्वकर्मा जी का जन्म 7 जनवरी 1986 को प्रतापगढ़, उ.प्र. के एक गाँव से एक सामान्य परिवार में हुआ है। प्रतापगढ़ से ही इन्होने एम.ए. में स्नातक क्या है। इनके पिता जी श्री रामप्रताप विश्वकर्मा जी मुंबई में सी.ए. (अकाउंटेंट) के पद पर प्राइवेट कंपनी में कार्यरत हैं। जैसे सभी माता-पिता की इच्छा होती है कि, उनका बेटा पढ़लिख कर डॉक्टर इंजीनियर बने, उसी तरह एक अकाउंटेंट पिता की भी यही इच्छा थी, लेकिन होता वही है जो पूर्वनिर्धारित होता है।
स्कूल के समय से ही इनकी रूचि पढ़ाई में कम और गांव में होने वाली रामलीला के कार्यक्रमों में ज्यादा थी। रामलीला कहें या फिर प्रभु राम की कृपा कहें, रामलीला के कार्यक्रमों में इन्हे अभिनय और गायन का मौका मिला, और वंही से इनकी रूचि बल मिलाना शुरू हुआ। उसके बाद इन्हे इनके स्कुल के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी गाने का मौका मिला। माता सरस्वती की कृपा से आवाज अच्छी थी और इसी कृपा के कारण ये कई बार पुरस्कृत भी किये गये। इनके स्कूल के प्राचार्य तथा सभी अध्यापकों ने भी इनके हुनर को खूब प्रोत्साहित किया और इन्हे अभिनय और गायन के क्षेत्र में जीवन संवारने के लिए कहा। तब तक इनके पिता जी भी ये समझ चुके थे कि, इनका बेटा डॉक्टर इंजीनियर नहीं अभिनेता और गायक बनेगा। उसी फलस्वरूप इन्हे इनके पिता जी का भरपूर सहयोग प्राप्त हुआ और वंहा से शुरू हुयी इनकी अभिनय और गायन की यात्रा।
अध्ययन के साथ साथ इन्होंने प्रतापगढ़ के सुर भारती संगीत विद्यालय से संगीत की शिक्षा भी प्राप्त की। उसी दौरान जिला स्तर पर आयोजित गायन प्रतियोगिताओं में कई बार प्रथम स्थान पाकर सम्मानित किये गये। इनके कई भोजपुरी एलवम्स् जैसे 'बेड़ा पार हो जाई', 'माई के जय जयकार करा' एवं 'झूम २ भक्ता नाचेला', 'आल्हा सांग श्री विश्वकर्मा भगवान', 'विश्वकर्मा चालीसा व विश्वकर्मा भजन' और भी अनेक एक के बाद एक रिलीज होकर मार्केट में खूब धूम मचाये और खूब नाम भी कमाएं। इसके बाद इन्होने अपना खुद का म्यूजिकल ग्रुप बनाया और उसी म्यूजिकल ग्रुप के बैनर टेल इन्होने उत्तरप्रदेश, बिहार, पंजाब, मध्य प्रदेश एवं मुबई में लगातार लाइब शो करते रहे।
लाइव शो और गायन के मध्य वो रामलीला वाली रूचि अभी इनके अंदर जिन्दा थी, उसमें में ये परचम फहराना चाहते थे। और इसी फलस्वरूप इन्होंने अभिनय की दुनिया में कदम रखा और भोजपुरी टेली फिल्म 'धरम की लड़ाई', 'खतरनाक दबंगई ' में लीड एक्टर की भूमिका निभाई, परन्तु फिल्म रिलीज नहीं पायी लेकिन युट्यूब पर अपलोड कर धमाल जरूर मचाया। इन्होने टेली फिल्मों में अभिनय के साथ-साथ गीतों में अपना स्वर भी दिया।
सभी लोग मुंबई मायानगरी को जानते हैं और अपनी किस्मत आजमाने के लिए लोग यंहा आते ही हैं। इन्होंने भी मुंबई मायानगरी का रुख किया और यहाँ उन्होंने पहली फिल्म संजय लीला भंसाली के प्रोडक्सन की 'बाजीराव मस्तानी' में एक छोटा सा रोल किया। इन्होंने सन् 2016 में अपना खुद का प्रोडक्सन हाउस 'एस आर फिल्म फैक्ट्री बनाया, जिसके बैनर तले २०१७ में अपनी हिन्दी फिल्म 'दि रियल स्टोरी आफ टेरर बरसाती गैंग' बनाकर रिलीज भी किया। इस फिल्म में ये खुद मुख्य हीरो की भूमिका भी निभाई है और स्वयं म्युजिक कम्पोजिंग व गानों में स्वर भी दिया है। इस फिल्म ने उत्तर प्रदेश के कई जिलों में खूब धूम मचाई और अन्य राज्यों में अभी भी रिलीज होना बाकी भी है।
इन दिनों आगामी आने वाली इनकी एक्सन हिन्दी फिल्म 'शूटआउट एट कानपुर' की शूटिंग अभी चल रही है जो कि ५०% पूरी हो चुकी है। यह फिल्म अक्टूबर १८ तक रिलीज भी हो जायेगी। जिसके प्रोड्यूसर नीरज विश्वकर्मा एवं को प्रोड्यूसर क्षितिज सिंह हैं। आगे इनकी कई फिल्में लाइन अप हैं जिसमें एक फिल्म 'देवा पण्डित' की शुरुवात इस फिल्म के तुरन्त बाद ही हो जायेगी। उसके बाद हिन्दी फिल्म 'पूर्वाचल माफिया' व 'दि पावर आफ उ.प्र. पुलिस' भी प्रारम्भ होंगी। वर्तमान में वे अपने ग्रुप द्वारा स्टेज शो, माता जागरण, भजन सन्ध्या, विश्वकर्मा भजन सन्ध्या इत्यादि कार्यक्रम भी जारी रखा है।
समाज के प्रति इनकी सोच काफी उत्कृष्ट है। कोई भी कार्यक्रम हो, चाहे गायन, अभिनय हो, स्टेज शो हो सभी में प्रथम प्राथमिकता समाज के लोगों की ही होती है। वर्तमान समय में इनकी टीम में लगभग 50% सदस्य विश्वकर्मा वंशीय समाज से हैं। एक तरह से देखा जाय तो ये अपनी प्रतिभा के बल पर विश्वकर्मा वंशियों को रोजगार की व्यवस्था भी कर रहें जो काफी प्रसंशनीय है। इनकी ये सोच काफी प्रेरणादायक भी है, हम सभी को इससे सीखते हुए समाज के लिए सदैव तत्पर रहना चहिये।