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Mr bharat  vishwakarma
Mr bharat vishwakarma bharatas420@gmail.com N
Subject : My village visit day 2nd
गाव में,
दुसरे दिन सब कुछ भुलाकर में जब सोने की कोशिश कर रहा था तब,
आंखे बंद होने का नाम नहीं ले रही थी......
शायद दिल में कुछ ऐसा चल रहा था जो उसे पसंद नहीं...
अचानक एक पुरानी किताब का एक टुकड़ा, आकर सामने ऐसे बिछ गया, मानो मुझे कुछ याद दिलाने की कोशिश कर रहा हो ....
उसे देखते ही मेने बड़ी ही उत्सुकता से माँ से सवाल किया की 'वो बक्सा कहाँ है जिसमे मेरी पुरानी किताबे रखी हुई है?'
माँ ने कुछ कम करते हुए कहा ऊपर वाले कमरे में सबसे बड़ा बॉक्स वही है.....
और वो पिताजी की आलोचना करने में लग गयी की उन्होंने तो इसे एक बार रद्दी में बेचने का मन बनाया था...
सब कुछ टालते हुए में वहा पहुंचा...
बक्से को खोला तो उसमे से एक एक करके कई यादो के अंश बहार निकलने लगे..
मेरी स्कूल की यादें ...
कई कापिया जिनमे तरफ-तरह की पेंटिंग्स बनी है .....
फेयर कॉपियो के पिछले पन्ने इतने शब्दों से भरे पड़े है की एक शब्द पहचानना मुश्किल है....
पन्नो में छुटिओं के प्लान्स , मेरे हस्ताक्षर अलग-अलग स्टाइल में 
नए अवं पुराने गीतों की लम्बी लिस्ट जो हम दोस्तों ने मिलकर बनाई थी....
प्रायमरी स्कूल की कापियों पर तो कुछ पीले सा रंग चढ़ गया था.....
काफी देर तक इन यादो में खोया रहा...
काफी दोस्तों के महत्वपूर्ण टेलीफोन नंबर भी प्राप्त हुए.....
एकदम भी मन और शरीर थकने का नाम नहीं ले रहे थे....
अचानक ..

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छोटे भाई ने जोर से आवाज लगाईं 'भैया आपका पसंदीदा प्रोग्राम आ रहा है...'
माँ ने चाय का कप हाथ में थमा दिया ......
और हम प्रोग्राम का मजा लेने लगे....
कुछ हुआ हो या न हो उस दिन यादो को और ज्यादा कीमत हो गयी मेरी जिंदगी में.....
भारत विश्वकर्मा .....
Comments

Omesha Arts

आपका वृतांत पढ़ कर मेरे मन की पूरानी यादे ताजा हो गई ...धन्यवाद आप का

11/2/2011 11:45:18 AM

Poonam Vishwakarma

ये आपकी परशनल स्टोरी है क्या ?

10/29/2011 5:16:52 AM

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