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क्यों हर काम हमें पूरी तरह संतुष्टि नहीं देता। संतुष्टि हमारे भीतरी विकास के लिए बहुत आवश्यक है लेकिन अक्सर हम बाहरी दुनिया में इतने खो जाते हैं कि अपने मन की शांति को नजरअंदाज कर देते हैं।
आत्मशक्ति को बढ़ाने के लिए मन की शांति और शक्ति दोनों ही बहुत जरूरी है। कभी-कभी बिना किसी लगाव और स्वार्थ के काम काम करने पर ही आत्म संतुष्टि मिलती है। स्वार्थ से किया गया काम अशांति ही देकर जाएगा, क्योंकि उसमें हम कहीं ना कहीं कोई गलत कर्म जरूर करते हैं।
गलत काम मन में डर पैदा करते हैं। भय कभी संतुष्टि के भाव को जागृत नहीं होने देता। इसलिए कभी-कभी दूसरों के लिए भी जीएं। कुछ काम ऐसे करें, जिसमें आपका स्वार्थ, अहंकार और आसक्ति तीनों ही गौण हो जाएं। अनासक्ति का भाव रहे। तभी आत्मसंतुष्टि का भाव आएगा।
आसक्ति अपेक्षा को पैदा करती है। हम जितने अधिक अनासक्त रहेंगे, उतने अधिक प्रवहमान रहेंगे और जितने आसक्त रहेंगे, मोह में डूबे हुए होंगे, उतने ही जड़ बन जाएंगे। मोह में डूबा हुआ व्यक्ति नई बातों को स्वीकार नहीं करता। वह जीवन के परिवर्तन को भी बर्दाश्त नहीं कर पाता, क्योंकि उसका मोह यह चाहता है कि जैसा वह सोच रहा है, वैसा ही सबकुछ हो जाए। इसी का नाम जड़ता है।
बिना स्वार्थ कर्म कैसे किया जाए, यह बहुत मुश्किल काम है। अक्सर हम कुछ काम करते समय उसमें कोई लगाव का कारण या स्वार्थ को जोड़ ही लेते हैं। महाभारत के इस प्रसंग से सीखिए, कैसे कभी खुद को छोड़कर दूसरों के लिए जीया जाए। भगवान कृष्ण ने जब पांडवों को अकेला देखा, जब उन्होंने यह महसूस किया कि पांडव धर्म के रास्ते पर होने के बाद भी दर-दर भटक रहे हैं। उनकी मदद करने वाला कोई नहीं है तो वे उनकी मदद करने चल पड़े। पूरी महाभारत में भगवान श्री कृष्ण ने पांडवों का साथ दिया और लगातार उनका मार्गदर्शन किया। इस पूरे युद्ध में श्रीकृष्ण का कोई निजी हित नहीं था।
Poonam Vishwakarma
कलयुग में स्वार्थ ही जीवन है ...
11/12/2011 10:13:44 PM
Devendra Vishwakarma
han aapki bat bhi sahi hai.
11/2/2011 10:11:16 PM
Shyam Vishwakarma
swarth ek had tak thik hai, agar samaj ki bhalai ke liye swarth kiya jaye to galat nahi hai.........
11/2/2011 10:23:23 AM
Devendra Vishwakarma
yes sir, sahi kah rahe hain aap..maine apne office me hi dekha hai aise logon ko.
10/21/2011 10:12:32 PM
Anil Vishwakarma
Devendra Ji, kuchh log to chahate hai, but samaj ke asamajik log aisa kaam karane hi nahi dete. Aaj kal aisa example kafi dekhane ko milata hai.
10/21/2011 9:39:59 PM
Devendra Vishwakarma
yes sir. sahi kaha aapne? vaise agar hum chahe to sab kuch ho sakta hai..
10/21/2011 9:15:30 PM
Anil Vishwakarma
Aajkal to koi bhi kaam bina swarth ke koi kar nahi sakata, but aisa mera manana hai ki, aisi koshish kar ek ko karani chahiye, taki wah jab wo iss duniyaa se jaye to usaki atmaa ko yanha wanha nahi bhatkana pade.
10/20/2011 9:53:34 PM
Devendra Vishwakarma
ha ha ha...well said miss poonam.
11/12/2011 11:46:32 PM