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सर्वे भवनतु सुखिना, सर्वे संतु निरमाया, सर्वे भद्रनी पशहानतु, माकश्चित दुख भा भवेत
पाँच हज़ार वर्ष पहले इसी वेद मंत्र का उच्चार करके परम पीता परमात्मा की याचना करते सबका भला करो भगवान, सबको सुख और शांति दो और पांचसों वर्षा पहले इसी पाठ को सरल भाषा में दोहराया "नानक नाम जलती काला तेरे पानी सर्वता भला". परंतु सबके लिए सुख और शांति मागनेवाले हिंदुस्तानी क्या खुद शांति से रह सके, रहते भी तो कैसे रहते उनकी धरती का दूसरा नाम सोने की चिड़िया है, जिसकी मिट्टी में सोना और जुंगलों में चन्दन है. शायद इसीलिए प्रकृति ने इसकी सुरक्षा के लिए उत्तर में हिमालया, दक्षिण में हिन्द महासागर पूरब में बंगाल की खड़ी और पश्चिम में थार का रेगिस्तान बना दिया था. फिर भी सोने की चमक और चन्दन की खुशबू बाहर के हमलावरो को लुभाती रही. सिकंदर के घोड़ो की टापों ने हमारे धरती के सीने की धड़कन तेज़ कर दी तोहून, मंगोल, अरब, मुगल, पुर्तगाली, फ्रांसीसी और अंग्रेज कोई पीछे न रहा सब आए और आते ही रहे. शायद नहीं जानते थे की जहां सब दुनियावाले अपनी अपनी मत्रूभूमि से प्यार करते हैं, वहा हिंदुस्तानी अपनी मत्रूभूमि की पूजा करते हैं.
करोड़ों हिंदुस्तानियों की भावना को शब्दो में ढालते हुए ही तो बंकिम बाबू ने कहा था "सुजलाम सुफलाम मलयज शीतलाम, शशया शमलम मातरम, वंदे वंदे मातरम". हमलावरो को हार मानकर वापस जाना पड़ा, पर कुछ लोग यही रह गए. उन्हे हमारी धरती माँ ने गोद ले लिए और इतिहास साक्षी है, माँ ने अपनी गोद से जन्मे और गोद लिए बच्चो में कभी अंतर नहीं किया शायद इसीलिए जब जब किसी हमलावर ने हमारी धरती के सीने पर पाँव रखना चाहा, सब बच्चे सीना तानकर सामने खड़े हो गए और सीमा सुरक्षा की दीवार खड़ी हो गयी. हंलवार इस दीवार से टकराकर वापस जाते रहे.
जो 1962 में हुआ वही सन 1965 और वही 1971 में हर बार हिंदुस्तानियों ने वापस जाते दुश्मन की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया क्यूंकी हमारी मिट्टी ने हमें सिखाया हैं "यदि नफरत करने वाले नफरत का दामन नहीं छोडते, तो मोहब्बत करने वाले मोहब्बत का दामन क्यूँ छोड़े?".
Omesha Arts
THANKS RAVI JI
11/2/2011 11:13:15 AM
Ravikumar Vishwakarma
Nice article KP ji.
10/19/2011 12:38:52 AM
Krishna Prasad Vishwakarma
Thanks Ravi ji
9/10/2013 11:41:10 PM