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बरसात के दिनों मे स्वास्थय की रक्षा करना भी बहुत दुश्कर कार्य है। यह मौसम बहुत कच्चे और पक्के दिनों जैसे होते हैं। कभी बादल होकर मौसम में ठ्न्डक, कभी धूप, कभी अधिक तेज़ धूप, कभी मौसम अचानक बदल् कर पानी की फुहार और ज्यादा नमी, कभी उमस, कभी नमी का अचानक बढ जाना, यह सब होता रहता है। जितनी तेज़ी से ताप मान का बदलाव इस मौसम में होते है, उतनी तेज़ी से शयद ही कोइ मौसम बदले। इस कारण से शरीर के अन्दर होने वले मेटाबोलिस्म पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़्ता है, जिससे न केवल "बैसल मेटाबोलिक रेट बी०एम०आर०" Basal Metabolic Rate BMR प्रभावित होता बल्की शरीर में अचानक इतनी तेज़ी से होने वाले परिवर्तन के लिये शरीर की कार्य प्रणाली भी नहीं तैयार होती। यही वजह है कि इस सीजन में तकलीफें बहुत होती हैं।
आयुर्वेद बताता है कि इस सीजन में क्या खान पान और रहन सहन की व्यवस्था करना चाहिये ताकि स्वास्थय सुरक्षित बना रहे।
क्या करें ?
1- बरसात में मौसम का कोई भरोसा नही रहता, कब ज्यादा गर्मी पड़ जाय, कब पानी बरसने लगे, कब आन्धी तूफान आ जाये इसलिये इन सब बातों से निपटने के लिये मानसिक रूप से अपने को तैयार रखें।
2- घर से बाहर जाना हो तो धूप और पानी से बचने के लिये एक छाता का इन्तजाम कर लेना चाहिये ताकि बचाव किया जा सके।
3- कच्चे पक्के दिन होने के कारण इस मौसम में "पाचन सन्सथान" Digestive system के रोग बहुतायत से होते हैं। आन्तो, लीवर, इरीटेबल बावेल सिन्ड्रोम, इन्फ्लेमेटरी कन्डीशन आफ बावेल, बावेल’स पैथोफीजीयोलाजी Colon, Large intestines, Liver , Irritable Bowel Syndromes, Inflammatory condition of bowels, Bowel’s Psychopathology तथा इसी सन्सथान से जुड़ी दूसरी गम्भीर स्वास्थय समबन्धी समस्यायें इसी मौसम में अधिकतर होती है, जैसे कालेरा, डायेरिया, कोलाइटिस, आन्तों की सूजन Cholera, Diarrhoea, Colitis, इत्यादि।
4- बेहतर यह है कि खान पान में हल्का भोजन करना चाहिये और भोजन के साथ मे आधा निंबू का रस तथा अदरख जरूर खाना चाहिये । नींबू और अदरख बरसात के दिनों में होने वाली तकलीफों का बहुत बड़ा "एन्टीडोट" है।
5- जिन्हे नींबू या अदरख मुआफिक ना आवे , वे आधा नींबू काट ले और उसमें सेन्धा नमक, काला नमक, काली मिर्च, पीपल का चुर्ण स्वादानुसार बुरक लें और इस नीबू को हल्की आग की आन्च में पका लें । इसे ठन्डा करके धीरे धीरे चूसना चाहिये । बरसात के दिनों में होने वाली बहुत सी तकलीफों से छुटकारा मिल जायेगा ।
6- इस मौसम में पनी से भीगने से बुखार या सर्दी या आम वात की तकलीफ हो सकती है, इसका इलाज स्वयम न करें तो अच्छा है किसी डाक्टर या वैद्य से सलाह लें।
क्या न करें ?
1- बिना समझे बूझे अपने आप कोइ दवा न लें और न इलाज करें, ऐसा करना खतरनाक हो सकता है।
2- स्वास्थय समबन्धी साफ सफाई का धयान रक्खें यह बहुत जरूरी है, कही पर भी गन्दगी फैलाने की चेष्टा न करें।
3- पीनें का पानी साफ हो ऐसी व्यवस्था करें और पानी को दूषित न करे।
4- बरसात के पानी से अपने शरीर को भीगने से बचायें ।
Sanjay Vishwakarma
प्रदीप जी, बहुत अच्छे, काफी अच्छा है ये लेख.....
7/31/2011 6:40:27 AM
Anil Vishwakarma
This is very good content for those who becomes careless in Monsoon :)
7/31/2011 6:33:30 AM
Ravikumar Vishwakarma
Thank you Pradeep for sharing.
8/7/2011 11:00:14 AM