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मुझे बेटी का पिता होने पर गर्व है।
लानत भेजता हूं ऐसों पर जिन्हें बेटियां बोझ लगती है।
नन्हें फूलों की क्यारी है मेरी बिटिया
घर भर को लगती प्यारी है मेरी बिटिया.
एक साल हुआ पकड़ उंगली दादा की
चलने की तैयारी है मेरी बिटिया.
जिसने पकड़ा उसको, झट से चूम लिया
सबकी राजदुलारी है मेरी बिटिया.
मुझे ज़मीं पर बिठा पीठ के ऊपर चढ़कर
मुझ पर करे सवारी है मेरी बिटिया.
दादी की कविता, मम्मी की लोरी सुनकर
सोती वो अवतारी है मेरी बिटिया.
सूरत से जैसे बिल्कुल किसी परीलोक की
लगती राजकुमारी है मेरी बिटिया.
दादी, दादा, चाचा सबके जीवन में
खुशियों की फुलवारी है मेरी बिटिया.
Anil Vishwakarma
श्याम जी ... बेटियाँ तो नसीब से मिलती हैं ... लेकिन हमारा बुद्धिहीन समाज बेटियों की कद्र नही करता।
6/11/2011 10:53:38 PM
Shyam Vishwakarma
हौसला अफजाई के लिए धन्यवाद आप सब का मै हमेसा कोशिस करता रहूँगा कुछ बढ़िया लिखने के लिए.....www.shyam-vishwakarma.blogspot.com
6/10/2011 10:02:30 AM
Anil Vishwakarma
I am with you Shyam Ji. Isi tarah aap betiyon ke liye likhate rahiye :)
5/18/2011 7:29:08 PM
sanjay vishwakarma
This is a true thought for future of a samaj
5/16/2011 10:16:38 PM
Ravikumar Vishwakarma
This is too good Shyam ji!
4/25/2011 8:40:45 PM
Shyam Vishwakarma
अनिल जी ..... यही बदलाव तो चाहिए समाज में. लोगो की मानसिकता को अब बदलना ही चाहिए. क्यूँ की लड़कियां अब लडको से आगे जा रही हैं....
6/12/2011 12:01:37 PM