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Mr BABULNATH VISHWAKARMA
Mr BABULNATH VISHWAKARMA babulnathvishwakarma123@gmail.com 9022022057
Subject : सोच को बदले तभी समाज की उन्नति हो सकती है
आज का समाज क्या चाहिता है लोगो से क्या आपने कभी इस बारे में सोचा है की नहीं यदि नहीं तो आप बहुत बड़ी गलती कर रहे है / वैसे तो आज के इस बदले हुंए युग में कोई भी समाज की चिंता नहीं करता है क्योकि समाज के ठेकेदार भी आपने पवार का गलत इस्तेमाल करने से नहीं चुकते है जैसे ही उन को मौका मिलता है वो भी अपना रंग दिखा ही देते है / समाज में न तो पहले जैसे निष्ठाबान व्यक्ति है और न ही समाज को एक जुट करने की उन में ललाक भी नहीं है / जो की बिना अपने स्वार्थ के कुछ काम समाज के उथान के लिए वो करे / आज हर कोई व्यक्ति पूर्ण रूप से आज़ाद है वो जो चाहे कर सकता है उस पर किसी भी प्रकार का कोई भी दवाब नहीं है जो की पहले समाज में रहता था / धीरे धीरे सभी बातो का मतलव भी बादालने लगा है / जो की कुछ हद तक तो ठीक है पर पूर्णरूप से नहीं / यदि आपको अपने समाज को जिन्दा रखना है तो सबसे पहले आप खुद को उस के अनुरूप बनाओ फिर उसी तरफ अपने समाज को मूड़ो तभी परिवर्तन हो सकता है कहने का मतलव की पहले खुद त्याग करो बाद मै दूसरो को बोलो तभी समाज का उत्थान हो सकता है और एक नया समाज का निर्माण हो सकता है / आपकी पहचान भी समाज के द्वारा ही बनती है तथा एक नई चेतना का भी जन्म होता है जब सारे के सारे लोग एक जगह एकत्रित होते है और कोई सामूहिक निर्णय लेते है तो नए समाज का निर्माण आपने आप ही हो जाता है / वैसे यदि देखा जाये तो मनुष्य कुछ स्वार्थी होता है ,उस में थोडा बहुत मै पाना भरा होता है जिसके कारण अक्सर वो भटक जाता है जैसे की आप सभी लोग टीम अन्ना को देखा रहे हो / याने की जिसको भी पवार मिलाता है वो उसका उपयोग पूरी ईमानदारी से नहीं कर पता है क्योकि वो मनुष्य है और कही न कही उस में लालच भी भरा हुआ है / सब से सच्चा इन्सान वो होता है जिसने अपनी इन्देनियो पर विजय प्राप्त कर ली हो / आज के युग में मुझे लगता है की इस तरह के लोग सिर्फ १-२% ही होंगे / यदि इनका प्रतिशत बड़ जाये तो फिर एक संगठित और सशक्त समाज का निर्माण किया जा सकता है तभी हम स्वामिमानी और आत्म निर्भर बाले समाज का निर्माण कर सकते है
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