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प्रश्न : वर्ण किसे कहते हैं ?
उत्तर : वर्ण सामान्यतः रंगों को कहते हैं। परन्तु इसका अभिप्राय मनुष्यों की भिन्न भिन्न वृत्तियों से भी है ।
प्रश्न : समामजिक वर्ण कितने हैं ?
उत्तर : सामाजिक वर्ण मुख्यतः चार ही हैं : (१) ब्राह्मण (२) क्षत्रीय (३) वैश्य (४) शूद्र ।
प्रश्न : ब्राह्मण किसको कहते हैं ?
उत्तर : जो सम्पूर्ण विद्याओं में पारंगत हो, जो ब्रह्म में स्थित प्रधीमान, निश्कपटी, सत्यवादी, जो मानव व्यवहार में दक्ष हो, जो भ्रमण करके विद्या दान करके परोपकार करने वाला निस्वार्थी हो । जो श्रेष्ठ विचारों से युक्त हो, त्याग और तप का जीवन व्यतीत करता हो । जो ब्रह्मचर्य से परिपूर्ण हो। सत्वगुण से युक्त हो। उसे ही ब्राह्मण जानना चाहिये । न कि मन्दिरों में बैठने वाले कपटी धूर्त, ठग, नीच, लम्पटी, द्वेशी लोगों को। न ही केवल जनेऊ धारण करने वाले सिर के पीछे शिखा (चोटी) रखने वालों को । न ही केलव भगवा वस्त्र धारण करने वालों को । न कि नाम के पीछे शर्मा, पाठक, गौतम, भारद्वाज, कश्यप, कौशल, अग्निहोत्री, चतुर्वेदी, त्रिवेदी, द्विवेदी, उपाध्याय, शाण्डिल्य आदि गोत्र लिखने वाले को ।
प्रश्न : क्षत्रीय किसको कहते हैं ?
उत्तर : जो ब्रह्मचर्य से परिपूर्ण विद्या ग्रहण करने के साथ साथ ही शारीरिक बल को बढ़ाने वाला हो, युद्ध कला पारंगत, जो सदाचारियों की रक्षा करने वाला हो, जो दुराचारियों को दण्ड देने हारा हो, जो सभी आपदाओं से राष्ट्र की सीमाओं की रक्षा करने वाला हो । जो न्यायोचित कर्म करने वाला सत्वगुण और रजोगुण से युक्त हो उसको क्षत्रीय जानना चाहिये । न कि केवल राजपूत होने वाले को । न कि नाम के पीछे राजपूत, चौहान, मिन्हास, ठाकुर, वर्मा, खन्ना, सिंह, राठौर आदि गौत्र लिखने वाले को ।
प्रश्न : वैश्य किसको कहते हैं ?
उत्तर : वैश्य कहते हैं जो विद्या पढ़ने के साथ ही निश्कपटी होकर सामाजिक व्यवस्था को ध्यान में रख धन का विभाग करे, और राष्ट्र निर्माण के लिये महत्वपूर्ण सहयोग करके उसकी सम्पदाओं का ध्यान रखे। जो रजोगुण और तमोगुण प्रधान वृत्ति वाला हो। उसको ही वैश्य जानना चाहिये । न कि केवल बनिये की दुकान पर बैठकर सामान में मिलावट करने वाले को । न कि नाम के पीछे बंसल, अग्रवाल, सिंगला, गुप्ता, श्रीवास्त्व, महता, मलहोत्रा आदि लगाने वाले को ।
प्रश्न : शूद्र किसको कहते हैं ?
उत्तर : शूद्र कहते हैं कि जिसमें अधिक विद्या को ग्रहण करने की बुद्धि नहीं होती तो वह थोड़ी सी ही विद्या के साथ सेवा कार्यों को करने हारा होता है । जो रजोगुण और तमोगुण प्रधान है । जो लोगों के घरों में सेवा सफाई सम्भाल, पशुओं का चराना, खेती करना, भोजन पकाना । कूएँ से पानी भरना घरों को बनाना आदि कार्य करता हो उसे ही शुद्र जानना चाहिये । न कि केवल दलित, वाल्मिकी आदि घर में पैदा होने वाले को ।
प्रश्न : क्या कोई मनुष्य वर्ण परिवर्तन कर सकता है ?
उत्तर : जी हाँ, मनुष्य को कर्म करने का पूरा अधिकार है। वह चाहे तो उत्तम कर्म करे और चाहे तो नीच कर्म करे। तो कर्मों के आधार पर ही यह वर्ण व्यवस्था बनाई गई है । जो भी मनुष्य ऊपर लिखे प्रकार के कर्मों को करेगा वह उसी वर्ण का मान जायेगा, विद्या से युक्त होगा तो ब्राह्मण, शौर्य से युक्त होगा तो क्षत्रीय, व्यापार करेगा तो वैश्य, सेवा करेगा तो शुद्र ।
प्रश्न : क्या यह वर्ण व्यवस्था कर्म के आधार पर है या जन्म के आधार पर ?
उत्तर : यह वर्ण व्यवस्था कर्म के ही आधार पर बनाई गई थी न कि जन्म के आधार पर ।
प्रश्न : यह व्यवस्था किसके द्वारा बनाई गई थी ?
उत्तर : यह वर्ण व्यवस्था सभी शास्त्रों में निपुण, वेदों के प्रकाण्ड विद्वान महर्षि मनु ने वेदों के आधार पर बनाई थी ।
Rajeevranjan Thakur
Very nice article, good for who care about it
2/8/2014 11:17:11 AM
Nandlal V.
very good article to knowledge of history
8/18/2014 10:36:53 PM