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केवल कुछ प्रतिषत ही नमक हलाल मिले,
बाकी जितने मिले वो सिर्फ दलाल मिले।
जब-जब फँसीं मछलियाँ नदियों की तब तब,
आँखों में आँसू भरकर घडि़याल मिले।
गीत प्रगति के हम भी जी भरकर गायें,
खाने को भर पेट जो रोटी दाल मिले।
वही ष्षहर के आज प्रमुख विक्रेता हैं,
छापे में जिनके घर नकली माल मिले।
जितने पैसे में हम अपना तन ढकते,
उनसे भी मँहगे उनके रूमाल मिले।
Nandlal V.
Nice...
2/5/2014 10:18:11 AM
Mohan Vishwakarma
Really good lines
2/4/2014 10:04:13 AM
Manoj Vishwakarma
Pretty good lines...
1/30/2014 10:13:08 PM
Ram Awadh Vishwakarma
sir, so many thanks to you for nice comments
1/29/2014 9:51:58 PM
Anil Vishwakarma
Waah... Waah... Waah...
1/29/2014 3:58:00 AM
Rajeevranjan Thakur
Good lines
2/8/2014 11:17:32 AM