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कोई पांचाल लिखता है कोई जांगिड़ कहाता है,
कोई शर्मा लिखता है कोई धीमान कहाता है,
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ तूम मुझसे दूर कैसे हो,
ये तुम्हारा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है.
कोई स्वर्णकार है हममे कोई सुतार है हममे,
कोई कंसार है हममे कोई लोहार है हममे,
कला की हममे है दरिया,
कला से प्यार करते है.
कुछ करने पर जो आते है तो, हम वो कर ही जाते है,
असंभव को भी हम संभव कर के दिखाते है,
कला से प्यार हो जाये कला ऐसी दिखाते है,
जिसे सब देखकर दाँतो तले अंगुली दबाते है.
जो मै कह रहा हु ये एक वंशज की कहानी है,
वेदो मे भी है ये लिख्खा पुराणों ने बयानी है,
यही सब ग्रंथ कहते है की ये वंश है सर्वोत्तम,
जो समझो तो मोती है, न समझो तो पानी है.
ये मेरी भी कहानी है ये तेरी भी कहानी है,
हमारी ही कहानी है हमारी ही जुबानी है,
मेहनत कर के जीते है मेहनत की ही खाते है,
हुये विश्वकर्मावंश मे पैदा इसी पर गर्व करते है.
Krishn Prasad Vishwakarma
Sanjay Vishwakarma
Good
4/10/2016 4:55:26 AM
Nandlal V.
good nice line
8/18/2014 10:35:28 PM
Gajanan Pawar
Jay vishwakarma
3/31/2014 10:36:27 PM
RAHUL VISHWKARMA JI
हम VISHWAKARMA है?
3/3/2014 9:52:04 PM
Anil Vishwakarma
That's the pretty good lines :)
2/25/2014 10:36:38 PM
DEVENDRA KUMAR
ALL SHARMA+ALL VERMA= VISHWAKARMA WE SHOULD THINK LIKE THAT. REGARDS DEVENDRA
2/26/2017 9:22:58 AM