Apke Lekh Details

To post comments on this Lekh you need to be logged in.

Mr DINESH SUTHAR
Mr DINESH SUTHAR dsuthar.vgs@gmail.com 8769475707
Subject : मानवता आज बैठी है हारी

कुछ जो दूजों से अधिक समर्थ, पापी अट्टाहस करते घूम रहे!
सहमी हुई है हर सुकुमारी, मानवता आज बैठी है हारी!!

रिश्तों का मतलब रहा नहीं, नारी ने क्या-क्या सहा नहीं!
असंख्य रूप धरे दुशासन, करते है वस्त्रहरण की तैयारी!!

सतयुग में यह आरम्भ हुआ, शिखर कलयुग में इसने छुआ!
क्यों अत्याचार नारी पर होता, है मन पर बोझ बड़ा ये भारी!!

जग का आधार जिसे वेद मानते, फिर क्यों हम उसको तुच्छ जानते?
जीवन फूल उपजता जिससे, जग में नारी ही तो वह क्यारी!!

मानवता आज बैठी है हारी!!
मानवता आज बैठी है हारी!!

Comments

Dinesh Suthar

thnks to all

2/22/2014 12:38:00 AM

Manoj Vishwakarma

Now a days thats very much true

11/23/2013 9:45:45 PM

Anil Vishwakarma

Really good peoples are now hopeless and helpless

11/17/2013 10:21:46 PM

Anil Vishwakarma

Nice lines...

11/15/2013 12:02:18 AM

Post Comments
User Pic