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Mr DINESH SUTHAR
Mr DINESH SUTHAR dsuthar.vgs@gmail.com 8769475707
Subject : हर तारे का एक तारा साथी

गिन-गिन देखे हमनें तारे,
पूरब से पश्चिम तक सारे,
मिला नहीं पर कोई भी ऐसा,
हो ना जिसका एक तारा साथी,
हर तारे का एक तारा साथी.

आँख-मिचौली का यह खेल,
बस बहुत हुआ अब कर लो मेल,
तुमसे हार मुझे लाज नहीं है,
मिल जाओ अब मैं हारा साथी,
हर तारे का एक तारा साथी.

मधुऋतु अपने रंग ओढ ले,
नाता मेघ सावन से जोड़ लें,
पहुँचु जो उस धरती पर मैं,
मिले जहाँ वो प्यारा साथी,
हर तारे का एक तारा साथी.

Comments

Anil Vishwakarma

Nice lines...

11/15/2013 12:02:22 AM

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