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Mr. Sudhir Sharma (Panchal Vishwakarma)
Mr. Sudhir Sharma (Panchal Vishwakarma) abhipratham@gmail.com 9818876458
Subject : लौट आओ तुम

अब इंतहा हो गई, तुम्हारे इंतजार की!
हर शाम आती है, चली जाती है और दे जाती है
एक ओर शाम, इंतजार की!

सूरज के पहली किरण, एक नई उम्मीद लेकर
रोज़ आती है मेरे घर, मगर तेरे इंतजार मे,
फिर शाम ढ़ल जाती है, ओर दे जाती है, इंतजार...

बरसो बीत गये, तेरे इंतजार मे,
मगर तुम न आए,
क्यों छोड़ गये मुझे अकेला यहाँ,
चारो ओर अंधेरा है जहाँ!

हर वक़्त दिल पे, दिल की चोट लगती है,
कहाँ हो, लौट आओ तुम...
अब जिंदगी भी तुम्हारे बिना, अधूरी लगती है...
अधूरी लगती है...

अभि प्रथम

Comments

Amarjeet Thakur

nice

10/23/2013 2:29:03 AM

Anil Vishwakarma

Good lines :)

8/11/2013 10:05:24 PM

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