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Mr. Shyam Vishwakarma
Mr. Shyam Vishwakarma vishwakarma.sv@gmail.com N
Subject : मित्रता दिवस ...

मित्रों आप सभी को मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें...

साथी का शाब्दिक अर्थ होता है साथ देने वाला। ऐसे साथ की आस भी हर कोई करता है। क्योंकि जीवन के सुख-दु:ख में किसी का साथ राहत देने वाला होता है। ऐसा साथ अनेक रिश्तों के रूप में व्यक्ति को मिलता है। चाहे वह माता-पिता, पत्नी, भाई या बहन। किंतु पारिवारिक रिश्तों के अलावा एक ऐसा रिश्ता भी है, जो वैसे ही विश्वास, प्रेम, सहयोग के साथ सुख-दु:ख के अवसरों पर परिजनों की तरह ही आस-पास ही होता है। यह रिश्ता है मित्रता का।

हिन्दू धर्म शास्त्रों में भी राम-सुग्रीव या कृष्ण-सुदामा के प्रसंग मित्रता के आदर्श हैं, जो सिखाते हैं कि मित्रता का भाव प्रेम देने और बढ़ानेवाला और नफरत जैसे बुरे भाव को मन से दूर रखता है। इसलिए हर कोई मित्र का संग चाहता है। किंतु सांसारिक जीवन में यह जरूरी नहीं कि मित्रता का कारण प्रेम ही हो। बल्कि स्वार्थ, हित के कारण भी मित्र बनते हैं और मतलब पूरा होने पर वही मित्र दूर हो सकता है, जो मन को दु:खी करता है। जबकि मित्रता का असल रूप प्रेम और सुख देने वाला ही है।

सवाल यह है कि सच्चे मित्र की पहचान कैसे हो? जिससे ताउम्र खुशी और साथ मिले। धर्म शास्त्रों में सच्चे मित्र के कुछ खास गुण बताए गए हैं। जानते हैं ये गुण:

1. प्रेमी: प्रेम सच्चे मित्र का सबसे अहम गुण है। क्योंकि इसके बिना मित्रता संभव ही नहीं। मित्र का प्रेम ऐसा हो जिसके बदले वह कुछ न चाहे।
2. उदार: सच्चे मित्र की खासियत होती है कि वह उदार सरल शब्दों में बड़े दिल वाला होता है, जो मित्र के सहयोग और जरूरत को पूरा करने के लिए लाभ-हानि की परवाह न करे।
3. दक्ष: मित्र व्यावहारिक और वैचारिक नजरिए से परिपक्व और कुशल होना चाहिए।
4. सच्चा: मित्र सत्य बोलने वाला ही नहीं बल्कि उसका व्यवहार में भी सच्चाई होना चाहिए।
5. सुख-दु:ख में समान: जिसका मतलब है मित्र मात्र सुख में ही मित्रता न निभावे बल्कि दु:ख में जरूर साथ खड़ा रहे।
6. विश्वासपात्र: अच्छा मित्र बोल, व्यवहार और विचारों से प्रामाणिक यानि भरोसेमंद हो। व्यावहारिक अर्थ में उसकी कथनी और करनी में अंतर न हो।
7. शौर्यवान: मित्र बहादुर, हौंसले वाला हो। जिससे मित्र की संकट के समय रक्षा कर सके।

ऐसे गुणों वाले व्यक्ति को आंखे मूंदकर साथी बनाना भी आपके सौभाग्य का कारण बन सकता है।

मित्रता दिवस सिर्फ एक दिन मानाने का पर्व नहीं है पता नहीं भारत में ये त्यौहार कब से और क्यों मनाने लगे ? हम भारतीय हैं । मित्र सखा पर विपत्ति कभी भी आ सकती है जिस दिन हम उनका साथ देते है सच में मित्र का दिन वही होता है। हमारे लिए हर दिन मित्र का होता है...

हम भारतीय हैं, हमारे देश में रिश्ते जन्म जन्मान्तर तक निभाए जाते हैं, मगर आज कभी फादर्स डे, कभी मदर्स डे तो कभी वेलेंटाइन डे के नाम पर हम भी पाश्चात्य संस्कृति और सभ्यता को अपनाते जा रहे हैं और दिन विशेष के फेर में हमारे रिश्तों कि आत्मीयता, संवेदनशीलता दिन प्रति दिन कम होती जा रही है, आज रिश्ते महज औपचारिक होकर रह गए हैं, वर्ष में एक बार अपने भावनाओं का इज़हार कर लिया और फिर हो गयी छुट्टी...

Comments

Krishna Prasad Vishwakarma

dhayawad SHYAM Ji itani badhiya post ke liye aisi post ek sachcha Bhartiy hi kar sakata hai

9/10/2013 11:36:55 PM

Nandlal V.

i like this

8/19/2013 1:56:29 AM

Anil Vishwakarma

Sabhi mitron ko mitrata diwas ki hardik shubh kamalayein :)

8/11/2013 10:05:48 PM

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