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कलाई से कांधों तक आभूषित, एक नारी का प्रतिमान,
मोअन-जो-दाड़ो में दबा, मेरा अनकथ संसार,
क्या हूँ मैं?
पन्नों में सिमटा, मात्र एक युगीन वृत्तान्त?
खोया सारा समर्पित अतीत, लक्ष्मण-रेखा के पार,
अग्नि भी जला ना पायी, एक संशय का तार,
क्या हूँ मैं?
युग-युग से पोषित मानस में, मर्यादा का प्रचार?
इच्छा-प्राप्ति से संलग्न, आशीष में बसा श्राप,
सप्त वचन के उपहास से, बिंधा आत्म-सम्मान,
क्या हूँ मैं?
धर्म-युद्ध पर आरोपित, मुर्ख अहंकार का प्रतिकार?
देवी से दासी तक झूलता, एक अनसुलझा विचार,
सदी दर सदी स्थापित, मानवता का संस्कार,
क्या हूँ मैं?
बाज़ार के अनुरूप बदलता, मात्र एक उत्पाद?
Omesha Arts
Samanya prani ...
10/5/2013 9:27:54 AM
Mohan Vishwakarma
Seasonal aam adami hai hum sab
9/29/2013 11:00:24 PM
Anil Vishwakarma
Ek aam aadami ho, aur kya?
9/14/2013 11:50:39 PM
Manoj Vishwakarma
Good lines... keep writing
9/11/2013 5:36:36 AM
Krishna Prasad Vishwakarma
देवी से दासी तक झूलता, एक अनसुलझा विचार, सदी दर सदी स्थापित, मानवता का संस्कार, क्या हूँ मैं? bahut khoob kaha
9/10/2013 11:25:42 PM
Poonam Vishwakarma
Wah... wah.. kya baat hai
9/9/2013 10:03:00 PM
Anil Vishwakarma
Uttam... ati uttam :)
9/9/2013 9:57:03 PM
Amarjeet Thakur
nice
10/23/2013 2:28:03 AM