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सर पे सिंदूर का “फैशन” नही है,
गले मे मंगलसूत्र का “टेंशन” नही है!
माथे पे बिंदी लगने मे शर्म लगती है,
तरह तरह की लिपस्टिक अब होंठो पे सजती है!
आँखो मे काजल और मस्कारा लगाती हैं,
नकली पलकों से आँखो को खूब सजाती हैं!
मूख ऐसा रंग लेती हैं की दूर से चमकता है,
प्रफ्यूम इतना तेज की मीलों से महकता है!
बालो की “स्टाइल” जाने कैसी -कैसी हो गयी,
वो बलखाती लंबी चोटी ना जाने कहाँ खो गयी!
और परिधान तो ऐसे “डिज़ाइन” मे आये हैं,
कम से कम पहनना इन्हे खूब भाये है!
आज अंग प्रदर्शन करना मजबूरी सी लगती है,
सोचती है इसी मे इनकी खूबसूरती झलकती है
पर आज भी जब कोई भारतीय परिधान पहनती है,
सच बताऊं सभी की आँखे उस पे ही अटकती है!
सादगी, भोलापन और शर्म ही भारतीय स्त्री की पहचान है,
मत त्यागो इन्हें यही हमारे देश का स्वाभिमान है...
Manoj Vishwakarma
Ye baat to sahi hai Shyam Ji, aaj ki auratein kuchh jyada hi modern ho gayi hai.
8/1/2013 10:35:53 PM
Shyam Vishwakarma
इसे ही कहते हैं पश्चिमी सभ्यता का असर........ भारतीय परिधान में नारी का रूप निखरता है परन्तु ये पश्चिमी परिधान न सिर्फ सामाजिक दृष्टि से उचित है बल्कि अत्याचार को आमंत्रण भी देता है........
7/31/2013 2:58:42 AM
Anil Vishwakarma
Truly, Its really very good line.
7/30/2013 10:36:15 PM
Anil Vishwakarma
वैसे इसे पढ़ने के बात मेरी हंसी रुकी नहीं, लेकिन ये काफी गौर करने वाली बात है, खास तौर से स्त्रियों के को.
7/30/2013 10:18:21 PM
Poonam Vishwakarma
Ashok Ji, aap ki lines sahi hai lekin, lekin sab auratein ek jaise nahi hoti, ye to aapko manana padega.
8/5/2013 10:21:48 PM