To post comments on this Lekh you need to be logged in.
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए,
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी,
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए।
हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में,
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए।
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।
Anil Vishwakarma
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए, बस इतनी सी ही चाहत है.
7/9/2013 3:43:12 AM
Krishna Prasad Vishwakarma
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही, हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए
7/6/2013 7:18:07 AM
Anil Vishwakarma
Good one... keep it up.
7/5/2013 9:25:06 AM
Vishnu Vishwakarma
Nice Lines
6/20/2013 9:53:37 PM
Manoj Vishwakarma
Sirf hungama khada karana hamara maksad nahi, humein kuchh kar gujarana hai.
8/1/2013 11:01:42 PM