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Mr. Sanjay Vishwakarma
Mr. Sanjay Vishwakarma N 9029495966
Subject : असमन्जस ...

सीधा साधा रास्ता भी मुझको,
अब लगता चौराहा सा,
जाने किस धुन मे भाग रहा,
है हर इन्सा बौराया सा.

पैसा पैसा करता रह्ता,
है वो अमीर इतराया सा,
जैसे तैसे जीवन जीता,
है वो गरीब सकुचाया सा.

ज्ञानी होने का ढोँग करे,
वो पढा लिखा इठलाया सा,
अनपढ है जो, वो भी बस यूँही,
है पडा हुआ अलसाया सा.

किस राह से मुझको लक्ष्य मिले,
सोचे युवा भरमाया सा,
जीवन की इस भाग दौड मे,
है बालक घबराया सा.

विज्ञान से सब सुख पा लूँगा,
सोचे मानव ललचाया सा.
इतना बदला मेरा मानव??
सोचे ईश्वर पछताया सा..!!

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