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Mr Amarjeet Thakur
Mr Amarjeet Thakur amarjeet_thakur2001@yahoo.com 9990529741
Subject : भक्ति महत्ता

आज संसार में भक्ति तो हर कोई कर रहा है मगर महत्ता तो उस भक्ति की होती है जिसे परमात्मा परवान करता है. अगर केवल नाम रटन की धुन को हीं भक्ति कहेंगे तो सड़क की किनारे बैठ कर भीख मांग रहा भिखारी भी हमसे कई गुना आगे है, पर यहाँ गौरतलब है की भीख मांग रहा वो भिखारी राम का नाम जरूर ले रहा होता है, मगर उसका ध्यान तो लोगों के जेब पर होता है कि लोग मुझे पैसे दे रहें हैं या नहीं?

भक्ति तो मंदिर मैं भैठा एक पुजारी भी कर रहा होता है, हाँथ में मनका जरूर फिरता रहता है पर ध्यान पूरे ब्रह्माण्ड का चक्कर काट रहा होता है, अर्थात अस्थिर रहता है. ऐसी भक्ति केवल दिखावे कि भक्ति होती है, जिसे ईश्वर कभी परवान नहीं करता. तभी तो संत कबीर जी को लिखने कि जरूरत पड़ी.

Comments

Poonam Vishwakarma

Sahi baat hai Shyam ji, jitana bhi yaad karo man se karo

5/19/2013 11:06:50 PM

Mohan Vishwakarma

Very true, agree.

5/2/2013 10:21:32 PM

Amarjeet Thakur

thaknks

3/24/2013 3:06:01 AM

Shyam Vishwakarma

दिखावा करने से अच्छा है की दो पल मन से याद कर लें प्रभु को बस इतना ही काफी है......

3/24/2013 12:01:22 AM

Omesha Arts

सही कहा आपने, आज कल तो रटने का ही जमाना है.

3/23/2013 10:27:05 PM

Ravikumar Vishwakarma

Well written...

3/23/2013 10:02:54 PM

Anil Vishwakarma

ध्यान लगाने से ज्यादा आसान रटना है, इसी लिये लोग ऐसे करते हैं।

3/23/2013 10:37:39 AM

Anil Vishwakarma

Sahi baat hai, aaj to log sirf ratate hi hai.

3/23/2013 10:35:31 AM

Anil Vishwakarma

Very true, I agree with you.

3/23/2013 6:26:43 AM

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