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Mr vijai sharma
Mr vijai sharma pakhi49@gmail.com 09452225717
Subject : बेटी का अहसास हुआ...

अवसर था, नवरात्र दिनों का उद्यापन...
तब बेटी का अहसास हुआ.

जब कन्या को भोज कराना था,
तब बेटी का अहसास हुआ.

जब संस्कृति का दीप जलाना था,
तब बेटी का अहसास हुआ.

बच्चे खेल रहे थे, गुड़िया-गुड्डे का खेल,
तब बेटी का अहसास हुआ.

जब सुहागिनों की पूजा करनी थी,
तब बेटी का अहसास हुआ.

जब पुत्र-बधू को घर में लाना था,
तब बेटी का अहसास हुआ.

मंडप में बधू की चुनरी, जब कन्या को पकड़नी थी,
तब बेटी का अहसास हुआ.

दिल भर आया सुनकर धुन शहनाई की,
तब बेटी का अहसास हुआ.

मंगलसूत्र देखा, जब गले में आपके,
तब बेटी का अहसास हुआ.

बुढ़ापे में सहारा पत्नी का,
तब बेटी का अहसास हुआ.

Comments

Ravikumar Vishwakarma

Aise hi likhate rahiye...

3/23/2013 10:10:02 PM

Anil Vishwakarma

बहुत अच्छा कवीता है... लिखना जारी रखें

6/11/2012 10:34:18 AM

Shyam Vishwakarma

बहुत बढ़िया सर जी.......

6/10/2012 12:02:25 PM

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