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माना कि घर में पकवान बहुत था,
दर्द तो तब हुआ,
जब मेहमान के लिए एक गिलास पानी नही था.
पत्नी ने घर में गोबर का लीपा लगाया था,
आँगन में बाबा ने खटिया पर बचपन की यादें सुनायी थीं,
दर्द तो तब हुआ,
बाबा को आयी खांसी तो एक गिलास पानी नही था.
प्यासा एक कौआ घड़े में कंकड डाल रहा था,
कंकड उठाते-उठाते चोंच पथरा गयी, अहसास नही था,
दर्द तो तब हुआ,
देखा, घड़े में एक बूंद पानी नही था.
दिन का तीसरा पहर, मोहरे मेरे एक याची खड़ा था,
थैले में उसके आटा, दाल, चावल और हाँथ में जलावन था,
दर्द तो तब हुआ,
कैसे बनाये खाना, याची के पास एक लोटा पानी नही था.
मेरे घर के बगीचा में बत्तख टहल रही थी,
पत्नी और बच्चे प्रसन्न और प्रफुल्लित हो रहे थे,
दर्द तो तब हुआ,
देखा जब, पास के तालाब में पानी नही था.
मेरे घर के पिछवाड़े कुम्हार का घर है,
पत्नी कुम्हार की, चाक को निहार रही थी,
दर्द तो तब हुआ,
कैसे भिगोए मिट्टी, कुम्हार के पास पानी नही था.
अभी कल ही मित्रो ने होली पर गुलाल लगाया था,
प्यार क्या होता है, गले मिल कर बताया था,
दर्द तो तब हुआ,
जब अपनों के लिए, एक गिलास पानी नही था.
Anshu Vishwakarma
Jal hi jeevan hai...
4/11/2012 11:05:22 PM
Anil Vishwakarma
Yeah this true, a day will come, when we crave for a drop of water, but we can make it impossible by saving the water. At least for our next generation, we should do it.
4/1/2012 9:15:24 PM
Anil Vishwakarma
It's really heart touching poetry... I am requesting to those people, who waste water in their daily routine life. Please understand the importance of water, otherwise a day is not more far to become thirsty, and might be you will crave for a drop of water.
3/28/2012 10:57:14 PM
vijai sharma
thanks to all ...
3/18/2014 9:12:32 AM